भारत भवन पर भावुक भूरी बाई बोलींं:इस मंच पर मुख्य अतिथि बनना पद्मश्री मिलने से भी बड़ा; यहां हर कोने में पसीना गिरा है, मैंने माल ढोया, ईंटें उठाईं
भोपाल.जिस भारत भवन के बनने के समय मजदूर से चित्रकार बनी भूरी बाई ने अपने सिर पर रखकर ईंटें ढोई थीं। जब वह भारत भवन के 39वें वर्षगांठ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर पहुंचीं, तो भावुक हो उठीं।
भूरी बाई ने कहा-
‘मुझे भारत भवन की सब बात याद आ रही हैं, जब मैंने भारत भवन में माल ढोया, ईंटें उठाईं। इस भारत भवन के हर कोने पर मेरा पसीना गिरा है। इसी भारत भवन में मेरी पेंटिंग भी लगी है। इस भारत भवन ने मेरे मजदूर से कलाकार बनने की यात्रा देखी है। आज मैं भारत भवन के स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बन रही हूं। मैं उस छत के नीचे खड़ी हूं, जहां मेरे गुरु स्वामीनाथन ने अंगुली पकड़कर कला का रास्ता दिखाया था। वहीं, कपिल तिवारी ने मुझे दूसरा जीवन दिया। मुझे कपिल सर के साथ पद्मश्री मिलेगा। मुझे लगता है, आज भारत भवन में अतिथि बनना पद्मश्री या दुनिया के किसी भी पुरस्कार से बड़ा है, क्योंकि भारत भवन पहुंचकर मुझे वो सारी बातें आ गईं, जब मैं यहां ईंटें ढोती थी। पेड़ के नीचे बैठकर रोटी खाती थी। एक दाढ़ी वाले बाबा मेरे गुरु स्वामीनाथन आए। उन्होंने मुझे मजदूर से कलाकार बना दिया। आज उन सब बातों को याद करके मेरी आंखों में पानी है। मैं स्वामी जी को बहुत ही याद कर रही हूं।’
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कपिल तिवारी ने कहा, भारत भवन की इस कला यात्रा में महान चित्रकार, गायक, नर्तक, साहित्यकार, नाटककार और कलाकार साक्षी रहे। मैं अपने आप को इस लायक नहीं समझता कि मुझे आज अतिथि के रूप में बुलाया गया। मुझे खुशी है कि मुझे भूरी बाई जैसी अद्भुत कलाकार के साथ न केवल मंच साझा करने का सौभाग्य मिला, बल्कि पद्मश्री भी उन्हीं के साथ मिलेगा। ऐसे छुपी हुई प्रतिभा का सम्मान निश्चित ही गौरव के पल हैं।
पद्मश्री पुरस्कृत भूरी बाई को संस्कृति विभाग द्वारा भारत भवन के समारोह में मुख्य अतिथि बनाया गया। इसके साथ ही उन्हें मप्र की संस्कृति विभाग का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया गया है। प्रमुख सचिव जनसंपर्क, संस्कृति एवं पर्यटन शिवशेखर शुक्ला ने उनके साथ सेल्फी लेने में गर्व महसूस किया।
शुक्ला ने कहा कि भूरी बाई एमपी में कला और संस्कृति की समृद्ध परंपरा का प्रतिनिधित्व करने वाली रियल सेलेब्रिटी हैं। पूरे देश को भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री पुरस्कृत किए जाने की उपलब्धि पर गर्व है।