आर्थिक अनियमितता की जाँच के बाद नपा अध्यक्ष को मप्र शासन ने पद से किया पृथक, अगले कार्यकाल के लिये भी चुनाव नही लड़ सकेगी
मप्र शासन नगरीय विकास एवं आवास विभाग सचिव अजयसिंह गंगवार ने बीते 23 दिसम्बर को एक आदेश जारी कर आलीराजपुर नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती सेना पटेल को पूर्व परिषद द्वारा किये गए एक दुकान आवंटन के मामले में दोषी पाते हुए उन्हें नपा अध्यक्ष पद से तत्काल पृथक कर दिया और उन्हें अध्यक्ष पद से तत्काल प्रभाव से हटाने के आदेश भी दिए है। साथ ही यह भी आदेश दिए गए कि वे अगली पदावधि के लिये अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या किसी समिति के अध्यक्ष पद धारण नही कर सकते है।
*यह है पूरा मामला*
आलीराजपुर शहर में बस स्टैंड स्थित पुलिस चौकी के लिए आरक्षित कक्ष को दुकान बनाकर नीलामी कर दी गई थी। सूत्रों के अनुसार तत्कालीन नपा के पूर्व की नपा परिषद न्यायालय में इस निर्माण पर स्टे की कार्यवाही में हलफनामा दाखिल कर वादा कर चुकी थी कि यहाँ पुलिस चौकी कक्ष का निर्माण हुआ हैं।
इस हलफनामे के बावजूद नपा परिषद ने इस कक्ष को मात्र 9 लाख में ही नीलाम कर दिया। जिसकी शिकायत तत्कालीन नपा उपाध्यक्ष विक्रम सेन ने की थी।
सूत्र यह भी बताते हैं कि इसका बाज़ार मूल्य 50 लाख रुपये के लगभग हैं।
इस शिकायत के बाद लम्बे समय से जांच चल रही थी। जाँच में मप्र शासन ने पाया कि बस स्टैंड पर बुनियादी शाला के पास कक्ष नम्बर 2 की नीलामी के सम्बंध में परिषद की सक्षम स्वीकृति के बिना ही विज्ञप्ति जारी की थी और उसे सुरेशचन्द्र कुमरावत को 9 लाख रुपये की बोली में आवंटित कर दी गई थी, लेकिन उसमें मप्र नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 109 की उपधारा (3) के परन्तु (दो) में उल्लेखित प्रावधान के अनुसार 50 हजार से अधिक मूल्य की दुकान नीलामी के सम्बंध में शासन स्वीकृति प्राप्त की जानी थी, जो नही की गई। वहीं जो मूल्य निर्धारित किया गया था उससे 6 लाख रुपये कम में दुकान नीलाम कर दी गई। ऐसी और भी अनियमितताए पाई गई। अतएव इस शिकायत का निराकरण करते हुए मप्र शासन ने नपा अध्यक्ष को दोषी ठहराते हुए अयोग्य घोषित कर दिया।
सूत्रों के अनुसार तत्कालीन नपा परिषद द्वारा इसी तरह की अनेक आर्थिक अनियमितताओ की शिकायत की जांच भी शासन के विभिन्न स्तर पर जारी बताई जा रही हैं।
*सामने आया नपा अध्यक्ष सेना पटेल का पक्ष*
इस पूरे मामले को लेकर नपा अध्यक्ष श्रीमती सेना पटेल ने एक मीडिया संस्थान के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि इस मामले में पहले एक आदेश जारी होता है, जिसमे मुझे नही बल्कि सीएमओ को दोषी करार देते हुए उन पर 10 लाख का जुर्माना किया गया था, वहीं आदेश में स्पष्ट रूप से लिखा था कि उन्हें यह सजा इसलिए दी जा रही है कि उन्होने दुकान का गलत तरीके से आवंटन किया और नगर पालिका अध्यक्ष को भी मामला संज्ञान में नही लाया गया। अब उसी मामले में एक ओर फैसला यह साबित करता है कि कैसे राजनीतिक द्वेष, दुर्भावना के चलते यह कार्यवाही की गई है। इसमें मैं कहीं भी दोषी नही हूँ, मैं अपने वकीलों से सलाह ले रही हूं, इस फैसले को हम उचित प्लेटफार्म पर चेलेंज करेंगे।
*यह बोले शिकायतकर्ता सेन*
तत्कालीन नपा उपाध्यक्ष विक्रम सेन ने बताया कि आमजन की सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिसकर्मियों, अधिकारियों को बसस्टैंड स्थित अन्य दुकानों के शेड व पेड़ो के नीचे कड़ी धूप, भारी वर्षा में प्रताड़ना से स्थायी रूप से बचाने हेतु पूर्व नपा परिषद से इस कक्ष को पुलिस चौकी हेतु सुरक्षित रखने की लड़ाई मैंने ही लड़ी थी। और इस कक्ष को तत्कालीन नपा परिषद के निर्णायक गण ने जनहित को ताक पर रखकर इसे दुकान के रूप में नीलाम कर दिया था। अतः मुझे शिकायत करना आवश्यक था। अब शासन इस कक्ष को पुनः पुलिस चौकी के लिए आवंटित करे तो जनहित में निर्णय सही साबित होगा।